खाटू में इस सरोवर से निकला था बर्बरीक का शीश

खाटू में इस सरोवर से निकला था बर्बरीक का शीश - Shyam Kund Khatu, इसमें खाटू धाम स्थित श्याम कुंड या सरोवर की महिमा और उसके इतिहास की जानकारी है।

Shyam Kund Khatu


आज हम आपको एक ऐसे पवित्र स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका सीधा संबंध कलियुग के देव, खाटू श्याम बाबा से है। यह वही स्थान है, जहां 'हार का सहारा' कहलाने वाले श्याम बाबा का शीश प्रकट हुआ था।

कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर श्याम बाबा ने अपने शीश का दान कर दिया था, जिसके कारण वे शीश के दानी कहलाए।

उनका वही शीश इस पवित्र कुंड में प्रकट हुआ था, जिस वजह से यह स्थान मंदिर के समान ही पूजनीय और गौरवशाली माना जाता है। इस स्थान को श्री श्याम कुंड या श्याम सरोवर के नाम से जाना जाता है।

श्याम कुंड का परिचय


श्याम कुंड एक गहरा और अंडाकार जलाशय है, जिसका जल अत्यंत पवित्र माना जाता है। कुंड परिसर में बाईं ओर एक प्रवेश द्वार है, जिसके अंदर प्राचीन श्याम कुंड बना हुआ है। अब इस प्राचीन कुंड को महिला कुंड का नाम दिया गया है और इसमें केवल महिलाएं ही स्नान कर सकती हैं।

महिला श्याम कुंड के चारों ओर कई मंदिर हैं, जिनमें एक प्राचीन हनुमान मंदिर और गायत्री मंदिर भी शामिल हैं। हालांकि, इतिहासकारों का मानना है कि बर्बरीक का शीश इसी प्राचीन श्याम कुंड से प्रकट हुआ होगा, लेकिन भक्तों की सुविधा के लिए अब वर्तमान श्याम कुंड का उपयोग किया जाता है।

श्याम कुंड की महिमा


यह कुंड सालभर पवित्र जल से भरा रहता है। कहा जाता है कि इसका जल जमीन के भीतर से निकलता है, इसलिए इसे पाताल लोक से आने वाला जल माना जाता है। चूंकि इसी कुंड में बर्बरीक का शीश प्रकट हुआ था, इसलिए इसका जल बहुत पवित्र और अमृत के समान है।

श्री श्याम कुंड को खाटू का तीर्थराज सरोवर भी कहते हैं। इस कुंड में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

कुंड में स्नान करने से बाबा श्याम की कृपा मिलती है और जीवन की परेशानियां दूर होती हैं। इस कुंड से श्याम बाबा का विशेष जुड़ाव है, क्योंकि यही वह जगह है जहां बर्बरीक का शीश प्रकट हुआ था।

इस कुंड के जल को चरणामृत के रूप में भी ग्रहण किया जाता है, जिससे आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होता है।


स्नान करते समय इन बातों का रखें ध्यान


श्याम कुंड में स्नान करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है ताकि अनजाने में कोई गलती न हो जाए:

1. कुंड में प्रवेश करने से पहले, इसके पवित्र जल को माथे पर लगाना चाहिए।

2. कुंड में स्नान करते समय साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

3. स्नान के बाद अपने कपड़े कुंड में नहीं धोने चाहिए।

श्याम कुंड का इतिहास


श्याम कुंड का इतिहास एक कहानी के रूप में बताया जाता है। प्रसिद्ध इतिहासकार पंडित झाबरमल्ल शर्मा के अनुसार, प्राचीन काल में इस जगह पर एक बड़ा टीला था। उस टीले पर एक आक का पेड़ उगा हुआ था।

एक दिन, टीले के पास से एक गाय गुजर रही थी, जिसके थनों से अपने आप दूध बहने लगा। जब गाय के मालिक इदा जाट ने देखा कि गाय कम दूध दे रही है, तो उन्हें शक हुआ। अगली बार वह गाय का पीछा करते हुए टीले तक पहुंचे और अपनी आँखों से दूध को आक के पेड़ के पास बहते देखा।

इदा जाट बहुत हैरान हुए। उसी रात, श्याम बाबा ने उनके सपने में आकर कहा कि 'मैं तुम्हारी गाय का दूध पीता हूँ।' उन्होंने बताया कि मैं आक के पेड़ के नीचे एक मूर्ति के रूप में दबा हुआ हूँ।

बाबा ने इदा जाट से कहा कि वे राजा को बताएं कि वे यहां खुदाई करवाएं और मेरी मूर्ति निकलवाएं। बाबा ने कहा कि सभी लोग मुझे श्याम के नाम से पूजेंगे।

जब इदा जाट ने यह बात राजा को बताई, तो राजा ने उस जगह की खुदाई करवाई। खुदाई में बर्बरीक का शीश निकला, जिसकी आज श्याम के नाम से पूजा होती है। खुदाई वाले स्थान पर एक कुंड बनाया गया, जिसे आज श्याम कुंड के नाम से जाना जाता है।

श्याम कुंड से निकली मूर्ति को एक शिव मंदिर के पास स्थापित किया गया था। यह शिव मंदिर आज भी श्याम मंदिर के परिक्रमा में मौजूद है। बाद में मुगल काल में औरंगजेब ने इस श्याम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवा दी।

औरंगजेब की मृत्यु के बाद, पुराने मंदिर से थोड़ी दूर पर सन् 1720 ईस्वी में वर्तमान श्याम मंदिर का निर्माण हुआ। इसी नए मंदिर में बाबा श्याम की मूर्ति स्थापित की गई और तब से बाबा श्याम यहीं विराजमान हैं।

श्याम कुंड तक कैसे पहुँचें?


श्याम कुंड, राजस्थान के सीकर जिले के खाटू कस्बे में स्थित है। यह कुंड श्री श्याम मंदिर के पास ही है। जब भी आप खाटू श्याम मंदिर जाएं, तो इस पवित्र कुंड के दर्शन करना न भूलें।

Map location of Shyam Kund



Video of Shyam Kund



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
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