जंगल के बीच गुफा में विराजती है माता - Mansa Mata Mandir Udaipurwati, इसमें खोह की पहाड़ियों में जंगल के बीच मनसा माता मंदिर की जानकारी दी गई है।
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झुंझुनू जिले की उदयपुरवाटी तहसील के खोह गाँव की अरावली की पहाड़ियों की गुफा में मनसा माता शक्ति पीठ धाम स्थित है। यह स्थान जयपुर से 125 किलोमीटर और सीकर से 61 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
खोह गाँव से मंदिर तक की दूरी लगभग चार-पाँच किलोमीटर है। इस गाँव से मंदिर तक का रास्ता पूरी तरह से जंगली है और पहाड़ों के बीच में से होकर गुजरता है।
बारिश के दिनों में यह रास्ता और मंदिर के आस पास का स्थान प्राकृतिक सुन्दरता से भर जाता है। सड़क के एक तरफ बरसाती नाला बहने लग जाता है।
मंदिर पहाड़ों के बीचों-बीच स्थित है। मंदिर एक गुफा के अन्दर बना हुआ है। पहाड़ के एक हिस्से को शामिल करते हुए मंदिर का गर्भगृह बना हुआ है जिसमें माता का निवास है।
गर्भगृह में तीन मूर्तियाँ मौजूद है लेकिन पीछे की तरफ ऊँचाई पर स्थित छोटी सी प्रतिमा को मुख्य मूर्ति बताया जाता है। इस प्रतिमा के मस्तक पर मुकुट सुशोभित है। बाहर से इस मूर्ति के दर्शन नहीं हो पाते हैं।
मुख्य गर्भगृह के बाहर एक छोटा मंडप बना हुआ है जहाँ पर खड़े होकर माता के दर्शन और स्तुति की जाती है। मंडप के बाहर नवनिर्मित बड़ा सभामंड़प स्थित है जिसमें काफी लोग इकट्ठे हो सकते हैं। मंदिर परिसर में शिव पंचायत एवं भैरव मंदिर भी स्थित है।
मंदिर के पीछे पहाड़ पर एक एनिकट बना हुआ है। पीछे की तरफ और बगल में प्राकृतिक कुंड बने हुए हैं जिनमें वर्ष भर पानी भरा रहता है। इस स्थान पर पेयजल के रूप में इन्हीं कुंडों के पानी को उपयोग में लिया जाता है।
मंदिर परिसर एवं आसपास का स्थान काले बंदरों से भरा हुआ है। बारिश के मौसम में यह स्थान आस्था के साथ-साथ एक अच्छा पर्यटक स्थल बन जाता है।
मनसा माता के लिए कहा जाता है कि ये शक्ति का ही एक रूप है और इन्हें कश्यप ऋषि की पुत्री माना जाता है।
कहते हैं कि ये कश्यप ऋषि के मन से अवतरित हुई थी जिस वजह से इन्हें मनसा नाम से जाना जाता है। इनके विषय में यह भी माना जाता है कि इनका जन्म समुद्र मंथन के बाद हुआ।
यह भी माना जाता है कि मनसा माँ अपने नाम के अनुसार भक्तों की सारी मनसा (इच्छा) पूर्ण करती है। यहाँ पर सभी भक्तजन अपनी इच्छापूर्ति के लिए दूर-दूर से आते हैं।
मान्यता है कि इनका विवाह जरत्कारू (जगत्कारु) ऋषि से हुआ था और इनके पुत्र का नाम आस्तिक था। इन्हें नागों के राजा नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी जाना जाता है।
मनसा माता को ऋषि कश्यप की पुत्री के साथ-साथ भगवान शिव की मानस पुत्री, विष की देवी तथा नागमाता आदि कई रूपों में पूजा जाता है। विष की देवी के रूप में इनकी पूजा बंगाल क्षेत्र में हुआ करती थी।
माता को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है जिनमें जरत्कारू, जगतगौरी, मनसा, सियोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जगतकारुप्रिया, आस्तिकमाता और विषहरी।
मनसा माता गुफा मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Mansa Mata Mandir
मनसा माता गुफा मंदिर का वीडियो - Video of Mansa Mata Mandir
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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